किसी भी शनिवार या मंगलवार को इसका पाठ सिर्फ चमेली के तेल का दीपक जलाकर कर सकते हैं । तो मित्रों आइये इस स्तोत्र का हम सभी मिलकर पाठ करें ।।सभी ग्रह बाधाओं को दूर करके समस्त दु:खों का अन्त करने वाला हनुमत् रक्षा स्तोत्रम् ।।
Shri Hanumat Raksha Stotram.
वामे करे वैरिभिदं वहन्तं शैलं परे शृङ्खलहारटङ्कम् ।ददानमच्छाच्छसुवर्णवर्णं भजे ज्वलत्कुण्डलमाञ्जनेयम् ॥१॥पद्मरागमणिकुण्डलत्विषा पाटलीकृतकपोलमस्तकम् ।दिव्यहेमकदलीवनान्तरे भावयामि पवमाननन्दनम् ॥२॥उद्यदादित्यसङ्काशमुदारभुजविक्रमम् ।कन्दर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम् ॥३॥श्रीरामहृदयानन्दं भक्तकल्पमहीरुहम् ।अभयं वरदं दोर्भ्यां कलये मारुतात्मजम् ॥४॥वामहस्ते महाकृच्छ्रदशास्यकरमर्दनम् ।उद्यद्वीक्षणकोदण्डं हनूमन्तं विचिन्तयेत् ॥५॥स्फटिकाभं स्वर्णकान्तिं द्विभुजं च कृताञ्जलिम् ।कुण्डलद्वयसंशोभिमुखाम्भोजं हरिं भजे ॥६॥।। इति श्रीहनुमत् रक्षा स्तोत्रं समाप्तम् ।।
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