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।। मघा नक्षत्र का जल ।।
वर्षाऋतु में अभी मघा नक्षत्र चल रहा है । मघा नक्षत्र की वर्षा अमृत के समान है । इस समय आकाश बिल्कुल स्वच्छ हो जाता है अतः जो जल बादलों से गिरता है वह भी स्वच्छ और निर्मल रहता है । मुझे अच्छे से याद है बचपन में दादी वर्षा होने पर एक बड़ा तपेला (पतीला) आँगन में रख देती थी । थाली भर जाने पर उसका पानी हंडे में भर लेती थी । फिर सब बच्चों को थोड़ा-थोड़ा पिलाती थी । बड़े होने पर मालूम हुआ कि #मघा_नक्षत्र का जल पीने से पेट के कृमि मर जाते हैं । यह जल #गंगाजल के समान पवित्र होता है । इसे भरकर रखेंगे तो खराब नहीं होगा ।
मघा नक्षत्र की वर्षा के बारे में प्राचीन मौसम वैज्ञानिक कवि #घाघ की अनेक कहावतें हैं ।
मघा में बरसे जल,
सब नाजों में होगा फल ।
अगर मघा में वर्षा होती है तो सभी फसलों में अच्छा फल लगेगा ।
मघा के बरसे,

माँ के परसे । तृप्ति मिलती है ।

अर्थात मघा नक्षत्र में वर्षा होने से #धरती तृप्त होती है जैसे माँ के भोजन परोसने से बच्चों की क्षुधा तृप्त होती है ।
अगर हमारे घरों की छत बिल्कुल स्वच्छ है तो उसका पानी भी हम किसी बड़े टैंक में संग्रहित कर सकते हैं ।
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