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🚩🕉️अजा एकादशी व्रत आज़ 🚩🕉️

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🚩🕉️अजा एकादशी भगवान विष्णु जी को अति प्रिय है इसलिए इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु और साथ में माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

🚩🕉️भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 29 अगस्त, गुरुवार देर रात 1 बजकर 19 मिनट से

🚩🕉️भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त:30 अगस्त, दिन शुक्रवार को देर रात 1 बजकर 37 मिनट पर

🚩🕉️उदया तिथि के अनुसार, अजा एकादशी 29 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।

🚩🕉️अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है।

🚩🕉️इस दिन इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति भी होती है।

🚩🕉️सनातन धर्म में अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। साथ ही सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। अजा एकादशी के दिन कुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं, जिनकी पूजा करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही सुख-समृद्धि और संपन्नता में भी वृद्धि होती है। आइए इस लेख में प्रयागराज यूपी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित मणि कान्त पाण्डेय जी से विस्तार से जानते हैं कि अजा एकादशी के दिन किन पेड़-पौधे की पूजा करने से लाभ हो सकता है।
🚩🕉️अजा एकादशी के तुलसी की करें पूजा

🚩🕉️अजा एकादशी के दिन तुलसी की पूजा विशेष महत्व रखती है। तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय पौधा माना जाता है। इस दिन तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

🚩🕉️सबसे पहले तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।फिर तुलसी जी को सिंदूर लगाएं और फूल अर्पित करें। तुलसी मंत्रों का जाप करें।

🚩🕉️श्री तुलसी माता नमस्तुते,
सर्व रोग हरिणी माता,*
सर्व पाप क्षय करिणी,
सर्व सुख प्रदायिनी।

🚩🕉️अजा एकादशी के दिन केले के पेड़ की करें पूजा

🚩🕉️केले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष का वरदान देते हैं।

🚩🕉️सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें। भगवान विष्णु और केले के पेड़ का ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें।

🕉️🚩ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
श्री कृष्णाय गोविंदाय गोपिका वल्लभाय नमः।

🚩🕉️अजा एकादशी कथा

🚩🕉️अज एकादशी की कथा राजा हरिशचन्द्र से जुडी़ हुई है. राजा हरिशचन्द्र अत्यन्त वीर प्रतापी और सत्यवादी ताजा थे. उसने अपनी सत्यता एवं वचन पूर्ति हेतु पत्नी और पुत्र को बेच देता है और स्वयं भी एक चाण्डाल का सेवक बन जाते हैं. इस संकट से मुक्ति पाने का उपाय गौतम ऋषि उन्हें देखते हैं. महर्षि ने राजा को अजा एकादशी व्रत के विषय में बताया. गौतम ऋषि के कथन सुनकर राजा मुनि के कहे अनुसार विधि-पूर्वक व्रत करते हैं.

🚩🕉️इसी व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. व्रत के प्रभाव से उसको पुन: राज्य मिल गया. अन्त समय में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को गया. यह सब अजा एकाद्शी के व्रत का प्रभाव था. जो मनुष्य इस व्रत को विधि-विधान पूर्वक करते है. तथा रात्रि में जागरण करते है. उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते है. और अन्त में स्वर्ग जाते है. इस एकादशी की कथा के श्रवण मात्र से ही अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है.

🚩🕉️अजा एकादशी व्रत का महत्व

🚩🕉️समस्त उपवासों में अजा एकादशी के व्रत श्रेष्ठतम कहे गए हैं. एकादशी व्रत को रखने वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. अजा एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है. इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है. इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है. यह उपवास, मन निर्मल करता है, ह्रदय शुद्ध करता है तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है. *पं.मणिकान्त पाण्डेय-ज्योतिषाचार्य-*

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