मंगलवार को सुबह स्नान कर देवालय में हाथ में जल लेकर भगवान वराह की उपासना का संकल्प लें। इस संकल्प में अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, गोत्र और मनोकामना बोलें। जानकारी न होने पर यह पूजा किसी विद्वान ब्राहृमण से कराएं। देवालय में वराहदेव की प्रतिमा न होने पर भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें आवाहन, आसन, पंचामृत स्नान, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, आरती, क्षमा, प्रार्थना आदि सोलह तरीकों से देव उपासना का महत्व है। पूजा के बाद विशेष वराह मंत्र की मूंगे की माला या लाल चन्दन की माला से जप करें-ॐ नमो भगवते वराह रूपाय भूभुर्व: स्व:। स्यात्पते भूपति त्यं देहयते ददापय स्वाहा॥।इस मंत्र के सवा लाख जप का महत्व है। संभव न हो तो 1 माला नियमित जप भी की जा सकती है। धार्मिक नजरिए से भगवान वराह की पूजा और मंत्र जप सुनिश्चित रूप से भूमि-भवन के सुख देती है। जप के बाद हवन, ब्रह्मभोज का भी महत्व है।
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Kya yeh puja pandit ji mandir main kar sakte hain …aaj Kal ghar par toh mushkil hai
Thank you 🙏