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यदि किसी की सन्तान की उन्नति मे बाधा आ रहीं हैं या सन्तान होने मे बाधा है खासकर की पुत्र सन्तान या नौकरी में बाधा उत्पन्न हो रहीं हैं या दिमाग से मंद बुद्धी है या परिक्षा मे सफलता नहीं मिलती तो व्यक्ति को चाहिए रोज ये पाठ करे। कुछ ही दिनों मे अनुभव करेंगे कि आपकी समस्याओं का समाधान होने लगेगा। गणाधिपस्तोत्रम्   सरागिलोकदुर्लभं विरागिलोकपूजितम् ।  सुरासुरैर्नमस्कृतं जरादिमृत्युनाशकम् ।  गिरागुरुं श्रिया हरिं जयन्ति यत्पदार्चकाः ।  नमामि तं गणाधिपं कृपापयःपयोनिधिम् ॥ १ ॥  गिरीन्द्रजामुखाम्बुजप्रमोददानभास्करम् ।  करीन्द्रवक्त्रमानताघसंघवारणोद्यतम् ।  सरीसृपेशबद्धकुक्षिमाश्रयामि सन्ततम् ।  शरीरकान्तिनिर्जिताब्जबन्धुबालसन्ततिम् ॥ २ ॥  शुकादिमौनिवन्दितमं गकारवाच्यमक्षरम् ।  प्रकाशमिष्टदायिनं सकामनभ्रपङकये ।  चकासनं चतुर्भुजैर्विकासिपद्मपूजितम् ।  प्रकाशितात्मतत्त्वकं नमाम्यहं गणाधिपम् ॥ ३ ॥  नटाधिपत्वदायकं स्वरादिलोकदायकम् ।  जरादिरोगवारकं निराकृतासुरव्रजम् ।  कराम्बुजैरनसृणीन्विकारशून्यमानसैः ।  हृदा सदा विभावितं मुदा नमामि विघ्नपम् ॥ ४ ॥  श्रमापनोदनक्षमं समादितान्तरात्मना ।   समादिभिः सदार्चितं क्षमाविधिं गणाधिपम् ।  रमाधवादिपूजितं यमान्तकात्मसम्भवम् ।  शमादिषड्गुणप्रदं नमामि तं विभुतये ॥ ५ ॥  गणाधिपस्य पंचकं नृणामभीष्टदायकम् ।  प्रणामपूर्वकं जनाः पठन्ति ये मुदायताः ।  भवन्ति ते विदाम्पुरः प्रगतिवैभवाः जना ।  चिरायुषोऽधिकाः श्रियाः सुसूनवो न संशयः ॥ ६ ॥  ॥ इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं गणाधिपस्तोत्रं संपूर्णम् ॥ Ganadhip Stotram   गणाधिपस्तोत्रम्

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