!! राहुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रम् !!श्री गणेशाय नमः ।राहुर्दानवमन्त्री च सिंहिकाचित्तवन्दनः ।अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १॥रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुभीतिदः ।ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २॥कालदृष्टिः कालरूपः श्रीकण्ठहृदयाश्रयः ।विधुन्तुदः सैंहिकेयो घोररूपो महाबलः ॥ ३॥ग्रहपीडाकरो दंष्ट्री रक्तनेत्रो महोदरः ।पञ्चविंशतिनामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ४॥यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ५॥ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ६॥॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुपञ्चविंशतिनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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