-बसंत पंचमी आप सबके लिए शुभता लाये यही मेरी मनोकामना है –
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जय जगदीश्वरी मात सरस्वती,
शरणागत प्रतिपालन हारी ॥
चंद्र बिम्ब सम वदन विराजे
शीश मुकुट गल माला धारी
वीणा वाम अंग में सोहे,
साम गीत ध्वनि मधुरपियारी
श्वेत वसन कमलासन सुन्दर ,
संग सखी शुभ हंस सवारी
ब्रह्मा नन्द है दास तुम्हरो,
ये दरशन कर ब्रह्म दुलारी ॥
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– बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती का ये भजन करे
और
माँ के आगे घी का दीपक जलाएं और धूप जलाये । पीले वस्त्र धारण करे और माँ को पिली मिठाई भोग में चढ़ाये । सुपारी और जायफल आगे रख कर माँ का मन्त्र ॐ ऐं नमः का जप करे और exams में सुपारी या जायफल साथ लेकर जाए ।
गरीबो को भोजन कराये और पढ़ाई की चीजों का गरीबों को दान करें ।
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इन सब चीज़ों का प्रसाद बनाये और exams में जाने से पहले खाये —
*हरी इलायची
*सौफ
*कसा नारियल
*किशमिश
*बादाम
*मिश्री
का प्रसाद चढ़ाये
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी बनायी जाती है
वर्ष मे कुछ शुभ मुहूर्त होते है जीने अबूझ मुहूर्त कहते है इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते है।
जिसकी कुंडली मे विद्या का अच्छे योग भी नही तो वो भी इस दिन माँ सरस्वती का ध्यान और पूज से विद्या योग पा सकता है।
प्रचलित कहावतों के अनुसार मान्यता है की आज के दिन अपने बच्चों शिक्षा ग्रहण करने के लिए उनका विद्यालयो में नामकरण करवाया जाता था क्योंकि इस दिन सरस्वती माता की खासतौर पर पूजा की जाती है।
क्या करे इस दिन
जिसका कुंडली मे बुध ग्रह कमजोर है – हरा फल अर्पित करे ।
जिसका कुंडली मे गुरु कमजोर है – पीले फूल पीली मिठाई पीले फल अर्पित करे
जिसका कुंडली मे शुक्र कमजोर है – सफेद फूल अर्पित करे
–धैर्य और शांति रखे
–ज्ञान चक्र को खोलता है
–इस दिन पीले य सफेद वस्त्र पहने
— काला और लाल न पहने
— पूर्व की और मुँह करके मंत्रों क उचारण करे
सूर्य उदय से ढाई घंटे बाद और सूर्य उदय के ढाई घंटे पहले विशेष लाभ होगा
— माँ को सफेद चंदन सफेद पीले फूल अर्पित करे
— मिश्री, केसर व।ली खीर बन।कर अर्पित करे
बसंत पंचमी पर न केवल पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, अपितु खाद्य पदार्थों में भी पीले चावल पीले लड्डू व केसर युक्त खीर का उपयोग किया जाता है, जिसे बच्चे तथा बड़े-बूढ़े सभी पसंद करते हैं। अतः इस दिन सब कुछ पीला दिखाई देता है और प्रकृति खेतों को पीले-सुनहरे रंग से सज़ा देती है, तो दूसरी ओर घर-घर में लोग के परिधान भी पीले दृष्टिगोचर होते हैं। नवयुवक-युवती एक -दूसरे के माथे पर चंदन या हल्दी का तिलक लगाकर पूजा समारोह आरम्भ करते हैं। तब सभी लोग अपने दाएं हाथ की तीसरी उंगली में हल्दी, चंदन व रोली के मिश्रण को माँ सरस्वती के चरणों एवं मस्तक पर लगाते हैं, और जलार्पण करते हैं
देवी सरस्वती की पूजन ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाती हैं। विधार्थी जीवन में रहते हुए सरस्वती देवी का पूजन किया जाना श्रेष्ठ विद्या की प्राप्ति कराता है। शास्त्रों में देवी सरस्वती की आराधना के लिए कई मंत्र हैं। जिनमें से प्रमुख व सरल मंत्र इस प्रकार है।
सरस्वती मूल मंत्र
ऊँ सरस्वत्यै नमः।
सरस्वती मंत्र
ऊँ ऐं सरस्वत्यै नमः।
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
सरस्वती गायत्री मंत्र
ऊँ सरस्वत्यै विद्महे ब्रह्मपुत्रयै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात।
ऊँ वाग देव्यै विद्महे काम राज्या धीमहि तन्नो सरस्वतीः प्रचोदयात।
स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए
ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
परीक्षा भय निवारण हेतु
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
सरस्वती पूजा : कलाप्रेमियों की प्रिय, हंसवाहिनी एवं ज्ञानस्वरूपिणी ज्ञानीजनों को विद्या का दान करती हैं एवं प्राप्त लक्ष्मी का उपयोग उचित ढंग से होने हेतु विवेक को जागृत रखती हैं । ऐसी श्री सरस्वतीदेवी का पूजन करें ।
–एकाग्रता की परेशानी है तो सुबह रोज़ सरस्वती वंदना कर। करे
— माँ क चित्र स्थापित करे – जहाँ आप पढ़ाई करते है और पीले कागज पर लाल सययी ऎ लिखें
HAPPY BASANT PANCHMI
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