Select Page

Shiv Ling ki puja mein Shankh se jal kyon nahin chadhate hain?

कहते हैं शिव भोले हैं और अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होकर उनके जीवन से पर॓शानियों को दूर करते हैं। शिवजी के पूजन के भी कुछ विधान हैं, जिनका पालन शास्त्रों के अनुसार जरूरी माना गया है और ऐसी मान्यता है कि यदि शिवजी के शिवलिंग या शिव पूजन के समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं।

astroshaliini.wordpress.com

हिंदू धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है और पूजा के लगभग सभी कार्यों में शंख का प्रयोग होता है लेकिन शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करना वर्जित है जिसके पीछें एक पौराणिक कथा है। इस बारें में विस्तार से शिवपुराण में बताया गया है।

www.astroshaliini.com

शिव पुराण के अनुसार शंखचूड़ नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ। शंखचूड़ दैत्यराज दंभ का पुत्र था। शंखचूड़ दैत्यराज दंभ को जब बहुत समय तक कोई संतान उत्पन्न नहीं हुई तब उसने विष्णु के लिए घोर तप किया और तप से प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट हुए। विष्णु ने वर मांगने के लिए कहा, तब दंभ ने एक महापराक्रमी तीनों लोकों के लिए अजेय पुत्र का वर मांगा और विष्णु तथास्तु बोलकर अंत्रध्यान हो गए।

तब दंभ के यहां शंखचूड़ का जन्म हुआ और उसने पुष्कर में ब्रहमा की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रहमा के वर मांगने के लिए कहा और शंखचूड़ ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रहमा ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्ण कवच दिया फिर वे अंत्रध्यान हो गए। जाते जाते ब्रहमा की आज्ञा पाकर तुलसी और शंखचूड़ का विवाह हो गया। ब्रहमा और विष्णु के वर के मद में चूर दैत्यराज शंखचूड़ ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया।

astroshaliini.blogspot.com

देवताओं ने त्रस्त होकर विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अतः उन्होनें शिव से प्रार्थना की। तब शिव ने देवताओं के दुख दूर करने का निश्चय किया और वे चल दिए। परंतु श्री कृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की वजह से शिवजी भी उसका वध करने से सफल नहीं हो पा रहे थे तब विष्णु ने ब्राहमण रूप बनाकर दैत्यराज से उसका श्री कृष्ण कवच दान में ले लिया और शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी के शील का अपहरण कर लिया।
www.astroshaliini.com

astroshaliini.blogspot.com

astroshaliini.wordpress.com

अब शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अतः लक्ष्मी विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है। परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अतः शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिवजी को शंख से जल (Shiv Ling ki puja) नहीं चढ़ाया जाता है। उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अतः लक्ष्मी विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है। परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अतः शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिवजी को शंख से जल (Shiv Ling ki puja) नहीं चढ़ाया जाता है।
www.astroshaliini.com