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।। जय श्री महाकाल ।।

अक्सर लोग राहु या केतु से डरे रहते हैं। राहु और केतु के कारण ही कालसर्प दोष निर्मित होता है। पुराणों अनुसार पितृदोष या प्रारब्ध के कारण कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग भी मुख्यत: 12 तरह के माने गए हैं।

राहु का नकारात्क प्रभाव :
काला जादू, तंत्र, टोना, आदि राहु ग्रह अपने प्रभाव से करवाता है। अचानक घटनाओं के घटने के योग राहु के कारण ही होते हैं। राहु हमारे उस ज्ञान का कारक है, जो बुद्धि के बावजूद पैदा होता है, जैसे अचानक कोई घटना देखकर कोई आइडिया आ जाना या अचानक उत्तेजित हो जाता। स्वप्न का कारक भी राहु है। भयभीत करने वाले स्वप्न आना या चमक कर उठ जाना भी राहु के बुरे प्रभाव के लक्षण माने गए हैं।

यदि अचानक शरीर अकड़ने लगे या दिमाग अनावश्यक तनाव से घिर जाए और चारों तरफ अशांति ही नजर आने लगे, घबराहट जैसा होने लगे तो इन सभी का कारण भी राहु है। वैराग्य भाव या मानसिक विक्षिप्तता भी राहु के कारण ही जन्म लेते हैं। बेकार के दुश्मन पैदा होना, बेईमान या, धोखेबाज बन जाना, मद्यपान करना, अति संभोग करना या सिर में चोट लग जाना यह सभी राहु के अशुभ होने की निशानी है। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं।

सकारात्मक प्रभाव :
व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं।

राहु का उपाय : राहु ससुराल पक्ष का कारक है, ससुराल से बिगाड़ नहीं चलना चाहिए। सिर पर चोटी रखना, माथे पर चंदन का तिलक लगाना, भोजन कक्ष में ही भोजन करना राहु का उपाय है। घर में ठोस चांदी का हाथी रख सकते हैं। सरस्वती की आराधना करें। गुरु का उपाय करें।