हनुमान जयन्ती (Hanuman Jayanti)
हनुमान जी के जन्म को लेकर विद्वानों में अलग-अलग मत हैं जिनमें तीन तिथियाँ (चैत्र पूर्णिमा, चैत्र शुक्ल एकादशी तथा कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) सर्वाधिक प्रचलित हैं |
इसमें से चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्म सर्वमान्य है | इस मत को निम्नलिखित श्लोक से समझा जा सकता है:
“महाचैत्री पूर्णीमाया समुत्पन्नौ अन्जनीसुतः। वदन्ति कल्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन ।।”
हनुमान का जन्म मेष लग्न में, चित्रा नक्षत्र में हुआ था।
हमारे पुराण कहते हैं गणेश और हनुमान ही कलियुग के ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों से कभी रुठते नहीं, अत: इनकी आराधना करने वालों से ग़लतियां भी होती हैं, तो वह क्षम्य होती हैं।
इस बार हनुमान जयन्ती पर ये करें :
घर की उत्तर दिशा में लाल वस्त्र बिछाकर के हनुमानजी के चित्र की स्थापना कर विधिवत पूजन करें। तांबे के दीपक में चमेली के तेल का दीपक करें, गुगल से धूप करें, सिंदूर से तिलक करें, लाल फूल चढ़ाएं व गुड़-चने का भोग लगाएं। लाल चंदन की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। पूजन उपरांत भोग प्रसाद स्वरूप में वितरित करें। केले का प्रसाद चढ़ाएं। सुन्दर गुलाब के फूलों की माला और इत्र चढ़ाएं।
पूजन मंत्र: ॐ आञ्जनेयाय नमः॥
बुद्धि बल में वृद्धि हेतु हनुमान जी पर चढ़े सिंदूर से नित्य तिलक करें।
गृहक्लेश से मुक्ति हेतु हनुमान जी पर चढ़े नींबू-मिर्च घर के मेन गेट पर बांधें।
शारीरिक बल में वृद्धि हेतु हनुमान जी पर चढ़े बादाम का नित्य सेवन करें।
आज हनुमान जी को बिना चूना लगा हुआ एक मीठा पान चढ़ाएं। पान में इलायची और लौंग जरूर हो।
श्री हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, राम रक्षा स्तोत्र का पाठ जरूर करें। सुन्दर काण्ड का पाठ तो सर्वोत्तम है। हनुमानजी के बारह नाम का जप करें
हनुमान जी के बारह नाम
“हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।”
उनका एक नाम तो हनुमान है ही, दूसरा अंजनी सूनु, तीसरा वायुपुत्र, चौथा महाबल, पांचवां रामेष्ट (राम जी के प्रिय), छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र), सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले) आठवां अमितविक्रम, नौवां उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले), दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले), ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले) और बारहवां नाम है- दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले) ये बारह नाम श्री हनुमानजी के गुणों के द्योतक हैं। श्रीराम और सीता के प्रति जो सेवा कार्य उनके द्वारा हुए हैं, ये सभी नाम उनके परिचायक हैं और यही श्री हनुमान की स्तुति है। इन नामों का जो रात्रि में सोने के समय या प्रातःकाल उठने पर अथवा यात्रारम्भ के समय पाठ करता है, उस व्यक्ति के सभी भय दूर हो जाते हैं।
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