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मासिक संकष्टी चतुर्थी आज


संकष्टी चतुर्थी हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि विशेष रूप से श्री गणेश की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन भक्त विधिपूर्वक श्री गणेश की उपासना करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों से मुक्त होने की कामना करते हैं।
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रति, उपवासी और भक्त चंद्रमा का दर्शन करते हुए भगवान गणेश से अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। विशेष रूप से इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और हर प्रकार के दोष दूर होते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस बार पौष महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर होगा।

दुर्लभ संयोग

इस बार संकष्टी चतुर्थी पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। 18 दिसंबर को शनि और गुरु का एक साथ मार्गी होना भी विशेष फलदायक माना जा रहा है। इस संयोग के कारण भक्तों को विशेष रूप से मानसिक शांति, समृद्धि और समर्पण के साथ पूजा करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, इस दिन चंद्रमा के साथ साथ विशेष रूप से गणेश जी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजन की विधि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पूजा के लिए सबसे पहले एक साफ स्थान पर गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को शुद्ध करें। फिर वहां श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें ताजे फूल, फल, मिठाई और दूर्वा अर्पित करें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दिन संतान सुख और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से गणेश की उपासना की जाती है।
व्रति को दिनभर उपवासी रहकर शाम के समय चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। फिर गणेश जी की आराधना करें और ध्यान लगाकर उनका स्मरण करें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपनी इच्छाओं को भगवान गणेश के समक्ष रखें।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का पर्व विशेष रूप से व्यक्ति के मानसिक तनाव को दूर करने और शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए जाना जाता है। इस दिन व्रति करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा, गणेश जी की पूजा से विघ्नों का नाश होता है और जीवन में कोई भी संकट नहीं आता।