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आयुर्वेद में रत्नों की भस्म द्वारा रोग निवारण के प्रयोग बताए गए हैं। अतः रत्नों में ग्रहों की ऊर्जा होती है। जो जातक को स्वास्थ्य बल भी प्रदान करती है। अतः रोग अनुसार रत्न धारण करें जैसे -#quotesdaily06 #astroshaliini #upay #crystalclear #chakra #astrology #relationship #remedialpathmakinglifeeeasy #relationship #reality

👉 पन्ना – अच्छी स्मरण शक्ति के लिए धारण करें।

👉 नीलम – गठिया, मिर्गी, हिचकी एवं नपुंसकता को नष्ट करता है।

👉फिरोजा-दैविक आपदाओं से बचाने के लिए फिरोजा धारण करें।
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👉माणिक – रक्त वृद्धि के लिए।

👉मोती – तनाव व स्नायु रोगों के लिए।
किडनी स्टोन -किडनी रोग निवारण के लिए।

👉मूंगा, मोती – मुंहासों के लिए धारण करें।

👉पन्ना, नीलम, लाजवर्त-अल्सर में उपयोगी है।
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👉 पुखराज,लाजावर्त्त, मूनस्टोन – दांतों के लिए

👉गौमेद या मून स्टोन -गले की खराबी के लिए।

👉तांबे की चेन – खांसी के लिए

👉मूंगा, पुखराज- कब्ज मुक्ति के लिए।

👉मोती, पुखराज – चांदी की चेन में हर्निया के लिए धारण करें।
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रत्नों को ऐसे अनेक प्रकार से कई बीमारियों को नष्ट करने के लिए स्वास्थ्य बल प्राप्ति के लिए धारण करते हैं। कोई भी रत्न शुभ-अशुभ दोनों प्रकार से फल प्रदान करता है। अतः अधिक सुखफल प्राप्ति के लिए अपनी कुंडली किसी प्रतिष्ठित ज्योतिषी को दिखाकर ही रत्न धारण करें।

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