कुंडली में पितृदोष का होना जीवन को हर तरह से संघर्ष की तरह लेकर जाता है।
यदि पितृदोष ज्यादा गंभीर है तब जीवन में हर तरह से बर्बादी के रास्ते बने रहते है, तो आज पितृदोष के कारण अगर बर्बादी हो रही है तो क्या उपाय करे और कब तक पितृदोष से छुटकारा मिल जाएगा समझते है।
कुंडली का 9वा, 5वा भाव पितृदोष से संबंधित है तो सूर्य गुरु पितरों के कारक है यदि अब कुंडली का 9वा भाव/9वे भाव स्वामी या 5वा भाव/5वे भाव स्वामी शनि राहू केतु से पीड़ित हो और पितरों के कारक ग्रह सूर्य गुरु भी शनि राहु केतु से पीड़ित है तब पितृदोष के कारण दिक्कतें रहेगी।अब इस तरह यह पितृदोष जिस भाव में बन रहा है उस भाव से संबंधित फलों में बर्बादी, संघर्ष रहेगा, दसवें भाव के पितृदोष है तब कैरियर में संघर्ष, कैरियर में बर्बादी, व्यापार में गिरावट/नुकसान बना रहेगा, 7वे भाव या 7वे भाव स्वामी के साथ पितृदोष है तब शादी होने में दिक्कत, शादी का न हो पाना ,आदि दिक्कते रहेगी।
अब कुछ उदाहरणों से समझते है पितृदोष है या नही और है तो किस तरह के पितृदोष निवारण उपाय से लाभ मिलेगा।
उदाहरणअनुसारमेष_लग्न1:-
मेष लग्न में ,9वे भाव स्वामी गुरु और 9वा भाव राहु केतु से पीड़ित है तब पितृदोष के कारण संघर्ष रहेगा, अब यह गुरु चौथे भाव में पितृदोष बनाकर बैठा है तब मकान/प्रॉपर्टी में विवाद ,कोर्ट कचहरी रहेगी।बाकी कुंडली में जिस भी फल को नुकसान दे रहा होगा उन्ही सब फलों को नुकसान रहेगा।
उदाहरणअनुसारधनु_लग्न2:-
धनु लग्न में 9वे भाव स्वामी सूर्य या 5वे भाव स्वामी मंगल राहु केतु शनि से संबंध बनाकर बैठे है और गुरु सूर्य जो पितरों के कारक है यदि यह पीड़ित है या अशुभ स्थिति में है तब पितृदोष के कारण जीवन में बर्बादी रहेगी अब यहां उपाय करने से पितृदोष से मुक्ति मिलेगी।
उदाहरणअनुसारकर्क_लग्न3:-
कर्क लग्न मे पितृभाव मतलब नवे भाव का स्वामी गुरु बनता है अब गुरु ग्रह और नवा भाव कुंडली मे पितृदोष देने वाले शनि राहु केतु से संबंध मे हो तब पितृदोष लगा हुआ है जो की जीवन मे उन्नति को रोककर रखेगा, बरकत नहीं होने देगा, बहुत सारे काम rऊके रहेंगे पुरे होने से, अब पितृदोष के उपाय करने से पितृ कृपा मिलेगी और काम बनेगे।
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