रंगभरी एकादशी आज
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत का आयोजन किया जाता है। फाल्गुन माह में मनाई जाने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन की इस एकादशी पर भगवान शिव ने माता पार्वती को काशी ले जाकर उन्हें गुलाल अर्पित किया था। इसी कारण इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
रंगभरी एकादशी तिथि कब?
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 09 मार्च, रात्रि 07: 45 मिनट से
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 10 मार्च, प्रातः 07: 44 मिनट पर
इस प्रकार से 10 मार्च को रंगभरी एकादशी व्रत किया जाएगा।
रंगभरी एकादशी शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:59 मिनट से 05:48 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02:30 मिनट से 03:17 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – सायं 06: 24 मिनट से 06:49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12: 07 मिनट से 12:55 मिनट तक
रंगभरी एकादशी व्रत का पारण समय
रंगभरी एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त: 11 मार्च, प्रातः 06:35 मिनट से 08:13 मिनट तक है।
रंगभरी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि दान करने से साधक को जीवन में किसी भी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आंवले के पेड़ की भी इस दिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है। रंगभरी एकादशी पर किसी मंदिर में आंवला वृक्ष लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। रंगभरी एकादशी के व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा के अनुसार अन्न, धन और अन्य वस्तुओं का दान करना चाहिए।
रंगभरी एकादशी का भगवान शिव और माता पार्वती से संबंध
रंगभरी एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. आंवले के वृक्ष की पूजा भी इस दिन विधिपूर्वक की जाती है. रंगभरी एकादशी पर किसी मंदिर में आंवला वृक्ष का रोपण करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त, वाराणसी में काशी विश्वनाथ के साथ माता पार्वती की आराधना भी इस दिन की जाती है. रंगभरी एकादशी के व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा के अनुसार अन्न, धन और अन्य वस्तुओं का दान करना चाहिए.
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