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💢अष्टकवर्ग और वास्तु का संबंध💢

अष्टकवर्ग और वास्तुशास्त्र दोनों ही वैदिक ज्योतिष और प्राचीन भारतीय विज्ञान के महत्वपूर्ण अंग हैं। अष्टकवर्ग ग्रहों की शक्ति और प्रभाव को समझने का एक तरीका है, जबकि वास्तुशास्त्र भवन निर्माण और दिशाओं के संतुलन से संबंधित है। इन दोनों का परस्पर गहरा संबंध होता है, क्योंकि ग्रहों की अनुकूलता और दिशाओं की ऊर्जा मिलकर व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती हैं।

  1. अष्टकवर्ग क्या है?

अष्टकवर्ग एक ज्योतिषीय प्रणाली है जो सात ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि) द्वारा विभिन्न भावों में दिए गए अंक (बिंदु) के आधार पर व्यक्ति की कुंडली का विश्लेषण करती है। इसका उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि किसी ग्रह की दशा में जीवन के कौन से क्षेत्र मजबूत या कमजोर होंगे।

अष्टकवर्ग के अंक और उनका प्रभाव:

0-19 अंक: बहुत कमजोर स्थिति

20-24 अंक: सामान्य प्रभाव

25-28 अंक: अच्छा प्रभाव

29+ अंक: बहुत शुभ प्रभाव

ग्रहों के उच्च अंक होने पर वह स्थान या दिशा अनुकूल होती है, जबकि कम अंक होने पर उस स्थान को संतुलित करने की आवश्यकता होती है।

  1. वास्तुशास्त्र और अष्टकवर्ग का संबंध

वास्तुशास्त्र में दिशाओं और उनके अधिपति ग्रहों का विशेष महत्व होता है। जब अष्टकवर्ग के अनुसार किसी दिशा में शुभ ग्रहों का अधिक प्रभाव होता है, तो वह दिशा व्यक्ति के लिए लाभकारी होती है। लेकिन यदि कोई दिशा कमजोर होती है, तो वास्तु दोष उत्पन्न हो सकते हैं।

कैसे पता करें कि कोई दिशा शुभ है या अशुभ?

  1. जिस दिशा में अष्टकवर्ग में अधिक अंक (25+) होते हैं, वह शुभ मानी जाती है।
  2. कम अंक (20 से कम) होने पर उस दिशा में वास्तु उपाय करने चाहिए।
  3. ग्रहों की स्थिति और दशा के अनुसार, वास्तु दोष को दूर करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।
  4. अष्टकवर्ग और वास्तु उपाय

(A) यदि किसी दिशा में अष्टकवर्ग के अंक कम हैं, तो क्या करें?

पूर्व दिशा कमजोर हो तो – सुबह सूर्य को जल अर्पित करें, घर का मुख्य द्वार साफ रखें, और लाल या सुनहरे रंग का प्रयोग करें।

पश्चिम दिशा कमजोर हो तो – घर के पश्चिमी भाग में भारी सामान रखें, पीतल का प्रयोग करें, और शनिवार को शनि मंत्र का जाप करें।

उत्तर दिशा कमजोर हो तो – घर के उत्तर में तुलसी का पौधा लगाएँ, हरे रंग का प्रयोग करें, और बुध के मंत्र का जाप करें।

दक्षिण दिशा कमजोर हो तो – दक्षिण दिशा में लाल रंग का प्रयोग करें, मंगल मंत्र का जाप करें, और तांबे का सिक्का रखें।

ईशान (उत्तर-पूर्व) कमजोर हो तो – इस स्थान को साफ-सुथरा रखें, हल्के रंगों का प्रयोग करें, और गुरु मंत्र का जाप करें।

नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कमजोर हो तो – इस दिशा में क्रिस्टल बॉल रखें, पीले या भूरे रंग का प्रयोग करें, और राहु मंत्र का जाप करें।

आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कमजोर हो तो – इस दिशा में रसोईघर रखें, चमकीले रंगों का प्रयोग करें, और शुक्र के मंत्रों का जाप करें।

वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कमजोर हो तो – इस दिशा में हवा का उचित प्रवाह बनाए रखें, चंद्रमा मंत्र का जाप करें, और सफेद रंग का प्रयोग करें।

  1. निष्कर्ष

अष्टकवर्ग और वास्तुशास्त्र का गहरा संबंध होता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है, तो उस ग्रह से संबंधित दिशा में वास्तु उपाय करके सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाई जा सकती है। इसी प्रकार, यदि किसी दिशा में अष्टकवर्ग के अंक अधिक हैं, तो उस दिशा का सही उपयोग करके सफलता, धन और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

अगर किसी घर या कार्यालय में लगातार समस्याएँ आ रही हैं, तो अष्टकवर्ग के आधार पर दिशाओं का विश्लेषण करके सही समाधान किया जा सकता है।