तुलसी विष्णु प्रिया हैं। कार्तिक में तो तुलसी पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। अगर कोई अपने मन की बात, भगवान को सीधे न कह सके, तो वह तुलसी के माध्यम से अपनी बात, भगवान तक पहुंचा सकता है। भगवान कृष्ण भी किसी की बात सुनें या न सुनें, लेकिन तुलसी जी की बात, हर हाल में सुनते हैं। तो अगर आपको सुख, दु:ख भगवान से शेयर करना हो तो उसके लिये पुराणों में बताई गई विधि से, तुलसी माता की पूजा करनी होगी। इसी विधि से भगवान श्रीहरि विष्णु ने भी तुलसी को प्रसन्न किया थाभगवान श्रीकृष्ण को तुलसी महारानी अत्यधिक प्रिय है । श्रीकृष्ण की सभी पूजाओं में तुलसी अर्पित की जाती है । तुलसी पूजा करने के कई विधान दिए गए हैं । उनमें से एक तुलसी नामाष्टक का पाठ करने का विधान दिया गया है । जो व्यक्ति तुलसी नामाष्टक का नियमित पाठ करता है उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है । इस नामाष्टक का पाठ पूरे विधान से करना चाहिए, विशेष रुप से कार्तिक माह में इस पाठ को अवश्य ही करना चाहिए !!तुलसी नामाष्टक मंत्र : वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।। एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।अर्थात् हे वृंदा! आप वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, पुष्पसारा, नंदनीय, तुलसी, कृष्ण जीवनी हो।आपको नमस्कार है। श्री तुलसी के पूजन के समय जो इन 8 नामों का पाठ करता है। वह अश्वमेघ यज्ञ के फल को प्राप्त करता है।
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