दरिद्रता एक अभिशाप है। शास्त्र कहता है-
‘बभक्षित: किं न करोति पापम्।
क्षीणा: नरा: निष्करूणा भवन्ति।।’
– अर्थात भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता। हमारे शास्त्रों में ऐसे अनेक अनुष्ठानों एवं स्तोत्र का उल्लेख है जिनसे दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। प्रतिदिन भगवान शिव का ‘दारिद्रय दहन स्तोत्र’ के साथ अभिषेक करने से मनुष्य को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
प्रतिदिन भगवान शिव का ‘दारिद्रय दहन स्तोत्र’ के साथ अभिषेक करने से मनुष्य को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
दारिद्रय दहन शिव स्तोत्र से धन संपत्ति प्राप्त होती है और दरिद्रता का नाश होता है। आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है। इस शिव स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी जो दरिद्रता और दुःख को आपके पास से दूर कर देगी।
व्यापार में घाटा, आर्थिक संकट, कर्ज और दिए गये उधार की वसूली न हो पाना जैसी आर्थिक समस्याये दारिद्रयदहन शिव स्तोत्र का नियमित पाठ करने से दूर होती है। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिये और अच्छी नौकरी प्राप्त करने के लिये भी इस स्तोत्र का नियमित पाठ करे
दारिद्र्य अर्थात अलक्ष्मी-अस्वस्थता-निराशा- कोई काम सफल ना होना अथक प्रयत्नों के बाद भी लक्ष्मी प्राप्ति में रूकावट आना-व्यापर में वृद्धि ना होना भाग्योदय ना होना- जीवन में प्रगति ना होना –
दहन अर्थात जला देना-भस्मीभूत कर देना दारिद्र्य दहन – यानी मनुष्यकी दरिद्रता को जलादे – भस्मी बहुत कर दे ऐसा स्तोत्र | यह स्तोत्र वसिष्ठ मुने कृत है जिसके त्रिकाल पाठ करने से दारिद्रता का विनाश हो जाता है।
अथ स्तोत्रम्
श्री गणेशाय नम:
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…
कुंडली में बना दरिद्र योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव डालता है। दरिद्र योग से व्यापार में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। दरिद्र योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अनैतिक तथा अवैध कार्यों के माध्यम से धन कमाते हैं। दरिद्र योग व्यक्ति की निर्धनता को दर्शाता है। दरिद्र योग की उपाय से इस योग को काम किया जा सकता है। जिसे व्यक्ति कुछ समय बाद दरिद्र योग के प्रभाव से छुटकारा पा लेता है। आईये जानिए दरिद्र योग कैसे बनता है। यदि व्यक्ति की कुंडली में ११ भाव का स्वामी ग्रह उस व्यक्ति की कुंडली के छटे आठवे या बारवे भाव में स्थित हो तो दरिद्र योग का निर्माण होता है। ऐसा नहीं है की केवल दरिद्र योग बनने मात्र से ही व्यक्ति निर्धन हो जाता है ये ग्रहो की स्थिति पर भी निर्भर करता है और ये कैंसिल भी हो सकता है।
ऐसा ही केमद्रुम योग नामक योग होता है। हम यहाँ केवल दरिद्र योग का संदेह प्रदान कर सकते है।
यदि किसी जन्मपत्रिका में 11 वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6ठें, 8वें और 12वें घर में स्थित हो जाता है तो दरिद्र योग बनता है ।
- जब किसी जातक की कुंडली में लग्नेश कमजोर, धनेश नीच या केंद्र में पाप ग्रह( सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु) हो तो व्यक्ति निर्धन होता है।
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